इंदौर डेली कॉलेज ऐसा पहला सी बी एस ई मान्यता प्राप्त फाइव स्टार स्कूल है जहां अक्सर शहर के धनाढ्य,नव धनाढ्य, और राज परिवार शराब और कवाब की पार्टी करते हैं!

इंदौर डेली कॉलेज ऐसा पहला सी बी एस ई मान्यता प्राप्त फाइव स्टार स्कूल है जहां अक्सर शहर के धनाढ्य,नव धनाढ्य, और राज परिवार शराब और कवाब की पार्टी करते हैं!


शहर के बेशकीमती और प्रभावशाली इलाके रेसिडेंशियल एरिया में 118 एकड़ में फैला डेली कॉलेज अपनी खूबसूरत इमारत और परिसर आज भी ब्रिटिश शासन के समय के राजे रजवाड़ों की भव्यता और उस समय के ब्रिटिश हुक्मरानो की लाइफ स्टाइल से अभिभूत राजे रजवाड़ों की जीवंत प्रतीक हैं! सन् 1882 में उस समय के ब्रिटिश गवर्नर जनरल सर हेनरी डेली के नाम से इसका नाम डेली कालेज पड़ा. वस्तुतः ब्रिटिश आर्मी और उस समय के गवर्नर जनरल हेनरी डेली ने सेंट्रल इंडिया के भारतीय राजे रजवाड़े, बड़े व्यापारी, धनाढ्य वर्ग और उच्च पदों पर आसीन हिंदुस्तानियों को अंगेजी भाषा, सभ्यता, संस्कार और संस्कृति को आत्मसात करवाने के लिए उनके राजकुमारो, सुकुमारो को ब्रिटिश हुकूमत पर नाज करने और ब्रिटिश तौर तरीकों और मानसिकता में ढालने के लिए स्कूल खोले फिर वह चाहे अजमेर का मेयो कालेज हो या इंदौर का डेली कॉलेज ये सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजो की इस देश मे राज करने की सोची समझी राजनीति, कूटनीति और रणनीति का हिस्सा थे!? सन 1870 से 1950 तक डेली कॉलेज के प्रिंसिपल अंग्रेज ही थे कोई भारतीय नही! उस समय के भारतीय राजाओ, हुक्मरानो और उच्च पदों पर आसीन हिन्दुस्तानीयो, धनाढ्य व्यापारियों को अंगेजो की शराब, शवाब और कवाब की लत लग चुकी थी जो आज तक कायम है!Iइन स्कूलों का भारत, भारतीयता, राष्ट्रवाद और समाजवाद से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है!


आज भी पुराने राजे रजवाड़ों के वंशज उन्ही के जमाने के धनाढ्य व्यापारी, वकील और उच्च वर्ग के नेता, मंत्री, और उद्योगपति इस ब्रिटिश रियासत स्कूल के ट्रस्टी है! आज भी उसी तरह की शराब, शवाब और कवाब की पार्टीया, आयोजित की जाती है सब तरह के रिश्ते बनाए जाते हैं! और ये सब होता है बच्चों की स्कूली शिक्षा की आड़ में! यहा पढ़ाई से ज्यादा महत्वपूर्ण है रिश्ते और अंगेजी सभ्यता, संस्कार और संस्कृति! विदेशी खुलापन!


सन 2003 से 2016 तक डॉ सुमेर बहादुर सिंह यहा के प्रिंसिपल थे. वो व्यक्तिगत तौर पर काफी रंगीन मिजाज के व्यक्तित्व के धनी थे, पार्टी एनिमल थे! उनकी पार्टीयो. मैं शराब, शवाब और कवाब के अलावा अंग्रेजी, अंग्रेजियत व राजशाही भाटियारीगिरी शामिल रहती थी! जिसे ओल्ड डेलीअन, राजे रजवाड़ो के वंशज और उन्मुक्त नव धनाढ्य वर्ग की लाइफ स्टाइल, आधुनिकता, मनोरंजन से मेल खाता था!