इंदौर अभिभाषक संघ इंदौर द्वारा पिछले लगभग 35 सालों से इंदौर जिला न्यायालय की बिल्डिंग को बचाने तथा उसके पीछे खाली पड़ी 22 एकड़ शासकीय जमीन को जिला न्यायालय परिसर में शामिल करके न्यायालय भवन का विस्तार करने हेतु लगातार संघर्ष किया जा रहा है l कई बार जनप्रतिनिधियों ने भी इस मामले में अभिभाषक संघ का साथ देने की बात कही लेकिन मध्यप्रदेश शासन शुरू से ही पिपलियाहाना तालाब को खत्म करने पर लगा है l न्यायालय के बिल्कुल पीछे 22 एकड़ जमीन शासकीय है उस जमीन में से कुछ जमीन व्यापारियों को अभिभाषक संघ के आंदोलन के चलते सियागंज मार्केट बनाने के लिए दे दी गई l वर्तमान में भी 14 एकड़ जमीन शासकीय होकर खाली पड़ी है उसमें विस्तार किया जा सकता है मध्यप्रदेश शासन द्वारा उक्त जमीन को न्यायालय परिसर में शामिल ना करते हुए महेश 7 एकड़ जमीन में बने तालाब को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है l पूर्व में इंदौर अभिभाषक संघ इंदौर की ओर से श्री सुरेंद्र कुमार वर्मा द्वारा वर्तमान जिला न्यायालय के पीछे खाली पड़ी जमीन को जिला न्यायालय परिसर में शामिल किए जाने हेतु तथा पिपलिहाना तालाब को बचाने हेतु माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका लगाई गई थी उक्त याचिका में यह स्पष्ट कर दिया गया है की वर्तमान न्यायालय भवन यथावत होगा अर्थात इस न्यायालय भवन को किसी भी प्रकार से हटाया नहीं जाएगा ऐसी स्थिति के चलते यह जरूरी है की उसका परिसर का विस्तार यहीं पर किया जाए लेकिन शासन की हठधर्मिता के चलते पुनः पिपलिहाना तालाब की तरफ सरकार ने रूप किया है l पानी का स्रोत पूरी तरह से खत्म करके पिपलिहाना तालाब क्षेत्र के लोगों को प्यासा मरने पर मजबूर किया जाए यह कि अभिभाषक संघ के सदस्य हरीश शर्मा के पत्र पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा संज्ञान लिया जाकर प्रकरण डायरी नंबर 1212 96/ सी आर /19 पर दर्ज कर कार्यवाही की जा रही है अभिभाषक संघ के सदस्य हरीश शर्मा एडवोकेट की दिनांक 19. 08.2019 के पत्र को जनहित याचिका मानते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रकरण दर्ज किया गया है जो डायरी नंबर 44483/ एससीआई/ पी आई एल(ई) 2019 पर दर्ज किया गया है तथा स्टेट्स अंडर प्रोसेस है
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