दिग्विजय सिंह तो अपने नेता राहुल की लाइन को ही तो बढ़ा रहे
गोविंद मालू
मौलाना दिग्विजय सिंह अपने हिन्दू और राष्ट्रवाद विरोधी बयानों के कारण ही हमेशा सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं। वोट बैंक के लिए यह उनकी निर्लज्जता की पराकाष्ठा है। उनकी जुबान तब क्यों नहीं खुलती, जब पाकिस्तान में 400 साल पुराना गुरुद्वारा तोड़ दिया जाता है, वहाँ के मंदिरों ध्वस्त किया जाता है और अल्पसंख्यक सिख ग्रंथी की बेटी को अगवा कर उसे धर्म बदलकर निकाह के लिए मजबूर किया जाता है! दिग्विजय सिंह को अपने आरोपों पर प्रमाण देना चाहिए! हमारे पास तो सिलसिलेवार ढेरों प्रमाण है कि वे और उनकी पार्टी आतंकियों को एक मज़हब के दायरे में रखकर उनका बचाव करती रही है।
दिग्विजय सिंह ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि उनके नेता भी इसी लाइन पर हैं! राहुल गाँधी ने 8 मार्च 2013 को अमेरिकी राजदूत से मुलाकात में कहा था कि इस्लामी चरमपंथ की तुलना में भारत में हिंदू चरमपंथ ज्यादा घातक है। इसी से लगता है राहुल ने अपने नेताओं को क्या संदेश दिया था, जो वे आजतक इसी राग को अलाप रहे हैं। लगता है यही कांग्रेस की अधिकृत लाइन भी है। ऐसे ढेरों प्रमाण है जो कांग्रेस ने देश की सुरक्षा से समझौते करके वोटबैंक के लिए किए हैं।
त्रिपुरा में 4 अक्टूबर 2007 को अलकायदा से जुड़े सरगना को कांग्रेस ने स्थाई आवास पत्र पत्नी सरकार से जारी करवाया था। कोयम्बटूर में बम धमाके के आरोपी अब्दुल नासेर मदनी की रिहाई के लिए काँग्रेस की पहल पर ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव पास करवाया गया था। क्या भारत के लिए कांग्रेस का ये पुण्यकार्य था?
काँग्रेस नेता सैफ़ुद्दीन सोज़ ने अपनी पुस्तक में लिखा कि कश्मीर के लोगों की पहली पसन्द आज़ादी है।यही बात मुशर्रफ और इमरान कहते हैं तो काँग्रेस मुस्लिम लीग की फ़ोटो कॉपी नहीं लगती क्या? दिग्विजय सिंह कभी कहते थे आरएसएस यानी संघ के पास बम बनाने की फैक्ट्री है! क्योंकि, कांग्रेस का पहला काम हिंदुओं को देश विरोधी साबित करना है! इस तरह वे वोट बैंक की सियासत के लिए ये कुकर्म कर रहे हैं। इसका मकसद देश के राष्ट्रवादी अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिमों में अज्ञात भय पैदा करना है। यदि दिग्विजय सिंह वास्तव में अल्पसंख्यक समुदाय के हितचिंतक हैं, तो उन्हें कश्मीर और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक भाइयों, बहनों की भी चिंता करना चाहिए! कश्मीर के पीड़ित भारतीय समुदाय के साथ हुए नृशंस अत्याचार पर उनकी जुबान लकवा क्यों मार जाता है?
कुंठित, पराजित और असहाय दिग्विजय सिंह से और भी कई सवाल हैं! मुंबई बम धमाकों के अपराधी याकूब मेमन, जिनके हाथ मासूमों के खून से सने थे, उसकी फाँसी रुकवाने के पत्र पर दिग्विजय सिंह ने भी हस्ताक्षर किए थे! क्या इसमें काँग्रेस की सहमति थी? ओसामा बिन लादेन के शव को समुद्र में फैंकने के बजाए उसे दफ़नाया जाना चाहिए था, ये सुझाव भी दिग्विजय सिंह का था या काँग्रेस का? ओसामा बिन लादेन को ओसामा 'जी' संबोधित कर दिग्विजय सिंह ने उसे भी सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी!
बाटला एनकाउंटर को कोर्ट ने सही बताया था, तो दिग्विजय सिंह उसके बाद भी उसे फर्जी क्यों बताते रहे? जबकि, इसमें जांबाज पुलिस अधिकारी मोहन शर्मा ने सीने पर गोली खाई थी! क्या मोहन शर्मा की शहादत को काँग्रेस षड्यंत्र ही मानती है? देश में वैमनस्यता और अस्थिरता फैलाने वाले जाकिर नाईक को संरक्षण देकर दिग्विजय सिंह कौनसा पुण्य कमाने का काम कर रहे हैं! अजीज़ बर्नी ने अपनी क़िताब में लिखा था कि मुंबई पर हुए 26/11 हमले के पीछे संघ का हाथ था! इस किताब का विमोचन भी दिग्विजय सिंह ने किया था! क्या विमोचन से पहले उन्होंने संघ की जिम्मेदारी की सही पड़ताल की थी? क्या कांग्रेस आज भी मानती है कि 26/11 हमले के पीछे संघ का हाथ था?
कश्मीर के अलगाववादी नेता बुरहान वानी की शवयात्रा में शामिल होना, क्या काँग्रेस का चरित्र नहीं दर्शाता? वास्तव में दिग्विजय सिंह यही सब तो फॉलो कर रहें हैं। उनकी सरकार में हुए उज्जैन जिले के चर्चित झिरन्या विदेशी हथियार काण्ड के आरोपी 'खान बंधुओं' को तब कांग्रेस ने निर्दोष बताया था! जबकि, गुजरात पुलिस ने कहा था कि दाऊद, छोटा दाऊद सहित हथियार काण्ड को मध्यप्रदेश में राजनीतिक संरक्षण था। इसके बावजूद दिग्विजय सिंह 15 अगस्त 1995 को प्रदेश के संदेश में कहा था 'यहाँ अल्पसंख्यक समुदाय असुरक्षा की भावना से पीड़ित हैं, इसलिए वे हथियार जमा करते हैं।' लगता है ऐसे ही लोगों और 1992 के दंगों के सिध्द आरोपियों से मुस्लिम लीग समर्थित काँग्रेस वायनाड़ में राहुल गाँधी का चुनाव प्रचार करवाती है