श्री उमंग सिंघार जी, माननीय वन मंत्री, मध्यप्रदेश शासन। माननीय मंत्री महोदय, 

प्रति,


श्री उमंग सिंघार जी,
माननीय वन मंत्री,
मध्यप्रदेश शासन।


माननीय मंत्री महोदय, 


सविनय निवेदन है कि आप कृपा करके हम सभी कार्यकर्ताओं को सर्वप्रथम ये बताने का कष्ट करें कि पूर्व मुख्यमंत्री माननीय दिग्विजय सिंह जी के मंत्रियों को लिखे पत्र में कहाँ पर ट्रांसफर पोस्टिंग का हिसाब मांगा गया है? मैं मानता हूं मंत्री जी काँग्रेस में अभिव्यक्ति की पूर्ण आज़ादी है लेकिन जो आपने और उन मंत्री जी ने जिन्होंने राजा साहब का पत्र सार्वजनिक किया है ये पार्टी लाइन के उल्लंघन का सीधा-सीधा मामला है।


माननीय मंत्री जी मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ कि मैंने माननीय दिग्विजय सिंह जी को अपने चचेरे भाई के ट्रांसफर के लिए एक आवेदन पत्र लिखा था जिसमे मेरी सगी मौसी जिनका एक पैर बीमारी के कारण कट चुका है और दूसरा भी संक्रमित है इस गंभीर अवस्था का हवाला देते हुए मैंने उनसे गुहार लगाई थी जिसके एवज में माननीय राजा साहब ने पंचायत मंत्री श्री कमलेश्वर पटेल जी को पत्र लिखकर मेरे भाई के ट्रांसफर का अनुरोध किया था। मैं आपको ये बताना चाहता हूँ कि मेरा भाई 2016 से ट्रांसफर का प्रयास कर रहा था और जब हमारी सरकार बनी तब मेरी मौसी ने मुझे फ़ोन करके बोला कि बीजेपी सरकार ने हम लोगों की तकलीफों को नही सुना लेकिन अब तुम्हारी सरकार बन गई है अपने भाई का ट्रांसफर करवाने में मदद करो। माननीय राजा साहब ने हमारे अनुरोध को सुना और परिणाम स्वरूप माननीय मंत्री कमलेश्वर पटेल जी की नोटशीट पर मेरे भाई का स्थानांतरण हुआ। 


माननीय मंत्री जी मेरे जैसे हज़ारों कार्यकर्ताओं ने काँग्रेस की सरकार बनाने में अपना योगदान दिया है और उन सभी लोगों का परिवार किसी न किसी समस्या से जूझ रहा है उन कार्यकर्ताओं की सुनवाई माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी के बाद माननीय दिग्विजय सिंह जी के यहां हो रही है तो इसमें समस्या क्या है? पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा कार्यकर्ताओं के काम के लिए किसी मंत्री को पत्र लिखना मेरे हिसाब से बहुत अच्छा काम है और कार्यकर्ताओं का काम न हो और फिर मंत्री से उन कामों की जानकारी लेना और भी अच्छा कार्य है। मंत्री जी उन्हें कार्यकर्ताओं की फिक्र है तब तो वे मंत्रियों से दोबारा आग्रह कर रहे हैं और इससे बड़ा प्रोटोकॉल और क्या होगा कि वे इतने वरिष्ठ नेता होने के बाद भी मंत्रियों से मिलने का समय मांग रहे हैं, आरएसएस/ बीजेपी की तरह क्लास लगाने के लिए नही बुला रहे। इस मामले में बीजेपी के नेता बढ़चढ़ कर बयान बाज़ी कर रहे हैं   वे अपने गिरेबां में झांके और बताएं कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भोपाल के शारदा बिहार स्कूल में बीजेपी सरकार के मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड बुलाकर उनकी क्लास ली थी या नही? जबकि दिग्विजय सिंह जी माननीय मंत्रियों से कार्यकर्ताओं के कार्यों के लिए कृपा पूर्वक आग्रह कर रहे हैं।


माननीय मंत्री जी आप और हम जैसे हर छोटे-बड़े कार्यकर्ता माननीय दिग्विजय सिंह जी के संरक्षण में, उनके मार्गदर्शन में राजनीति के ऊंचे मुकाम पर पहुंचे हैं। ये वो नेता हैं जिन्होंने प्रदेश के गांव-गांव में विचरण करके पार्टी कार्यकर्ताओं को एक मंच पर बैठा कर उन्हें हाथ में जल देकर सबको संकल्पित किया कि वे गुटीय संघर्ष छोड़कर एक हो जाएं और प्रदेश में सरकार बनाने में अपना योगदान दें। मंत्री जी क्या हज़ारों-हज़ार संकल्पित कार्यकर्ताओं को अपने नेता से अपने भाई-बंधु के ट्रांसफर कराने का हक़ नही है? ये बात सभी कार्यकर्ता अच्छी तरह जानते हैं कि आप भी एक अच्छे नेता और एक राजनीतिक विरासत की पृष्ठ भूमि से आते हैं आप एक प्रशासनिक पद पर बैठे हैं जहां निश्चित ही आपकी व्यस्तताएं हैं क्योंकि आपको सरकार भी चलानी है इसीलिए आप सभी कार्यकर्ताओं से नही मिल सकते। ऐसे में जो सर्वदा उपलब्ध हैं और कार्यकर्ताओं की पीड़ा समझते हैं, उनके पास अपने काम लेकर जाना गलत है? या उनका हमारे कामों को लेकर मंत्रियों को पत्र लिखना गलत है? 


माननीय मंत्री जी क्या दिग्विजय सिंह जी को सिर्फ राज्यसभा सांसद की दृष्टि से देखा जाना चाहिए? क्या उन्हें 10 साल के मुख्यमंत्री के तौर पर एक अनुभवी राजनेता के रूप में नही देखा जाना चाहिए, क्या उन्हें कार्यकर्ताओं के मेंटर के रूप में नही देखा जाना चाहिए? मंत्री जी आज ऐसे ही कई प्रश्नों के जवाब प्रदेश का एक-एक कार्यकर्ता आपसे मांग रहा है। 


मंत्री जी एक बात और कहना चाहता हूं, मैं दिन भर पार्टी से जुड़े अपने साथी कार्यकर्ताओं को ये कहता हूँ कि पार्टी लाइन के खिलाफ या पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ हमें ऐसा कुछ भी नही करना है जिससे पार्टी की छवि खराब हो। लेकिन आपके इस कृत्य से शर्मिंदा हूँ और किसी भी कार्यकर्ता से ये कहने की स्थिति में नही हूँ कि वे पार्टी लाइन पर चलें क्योंकि जब आप जैसा जिम्मेदार नेता जिसे पार्टी ने कई नेताओं-कार्यकर्ताओं में से चुनकर विधानसभा चुनाव लड़ाया और उसके बाद आपको मंत्री बनने के योग्य समझा, फिर भी आपने पार्टी की प्रतिष्ठा को धूमिल करते हुए ऐसा कदम उठाया जिसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है। मंत्री जी मैं पहली बार पार्टी लाइन से हटकर इस तरह का पत्र सिर्फ इसीलिए लिख रहा हूँ कि जिस अभिव्यक्ति की आज़ादी के तहत आप ने गलत चलन आरम्भ किया है तो हर कार्यकर्ता अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र है। मैं और मेरे जैसे हज़ारों कार्यकर्ता हमारे वरिष्ठ नेता माननीय कमलनाथ जी और दिग्विजय सिंह जी के साथ हैं और उनके हर निर्णयों के समर्थन में उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े हैं। मुझे उम्मीद है मेरी बातों को अन्यथा न लेते हुए आप पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ता की व्यथा को समझेंगे और अपने किए पर दोबारा विचार करेंगे।