भोपाल में दो नगर निगमों में 85 से बढ़कर हो जाएंगे कुल 110 पार्षद l
भोपाल। शहर में दो अलग-अलग नगर निगम गठन के बाद एक बड़ा बदलाव वार्डों में होगा। दोनों नगर निगम में नए सिरे से वार्डों की संख्या के निर्धारण और परिसीमन के बाद मौजूदा 85 की संख्या बढ़कर 110 तक पहुंच सकती है। पूर्वी नगर निगम यानी जिसमें कोलार, गोविंदपुरा, करोंद, भोपाल मेमोरियल अस्पताल, नई जेल के आसपास का क्षेत्र शामिल है। वहां वार्डों की संख्या 31 से बढ़कर 40 और पश्चिमी नगर निगम जिसमें शहर का भीतरी इलाका शामिल है वहां वार्डों की संख्या मौजूदा 54 से बढ़कर 70 तक हो सकती है।
2011 की जिस 19,22,130 आबादी के आधार पर परिसीमन होगा, अब शहर में लगभग इतने वोटर हैं। नियमानुसार प्रशासन आबादी के आधार पर परिसीमन करेगा, लेकिन नेता पिछले चुनावों में मिले वोटों का गणित लगा कर खाका तैयार कर रहे हैं। परिसीमन ऐसा होने की संभावना है कि पश्चिमी नगर निगम पर कांग्रेस का कब्जा सुनिश्चित हो जाएगा और पूर्वी पर स्थिति में सुधार आ सकता है। दरअसल, महापौर का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होने के कारण ज्यादा पार्षदों का चुनाव जीतना दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण है।
कोलार में बढ़ सकते हैं 3 वार्ड
कोलार क्षेत्र में 80 से 85 तक छह वार्ड हैं। क्षेत्रफल में यह वार्ड बहुत बड़े हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक इनमें 15 से 20 हजार आबादी है। लेकिन अब कोलार क्षेत्र में लगभग 1.25 लाख मतदाता हैं। यहां 3 वार्ड और बढ़ाए जा सकते हैं।
उत्तर में 17 वार्ड हो सकते हैं
उत्तर में 13 वार्ड हैं। इनमें से 7 वार्ड कांग्रेस के पास हैं और दो वार्डों में कांग्रेस समर्थित निर्दलीय चुनाव जीते हैं। भाजपा के पास केवल 4 वार्ड हैं। 2018 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां बढ़त बनाई है। यहां कम से कम चार वार्ड बढ़ाए जा सकते हैं।
दक्षिण-पश्चिम और मध्य का गणित
दक्षिण- पश्चिम विधानसभा में अभी 12 वार्ड हैं। इनमें 6 पर भाजपा और 6 पर कांग्रेस काबिज है। यहां बढ़कर 16 वार्ड करना कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है। मध्य में 13 वार्ड हैं। इनमें 6 पर भाजपा, 6 पर कांग्रेस और एक पर भाजपा समर्थित निर्दलीय पार्षद हैं। यहां वार्ड बढ़कर 17 हो सकते हैं।
5वें दिन... 28 सुझाव-आपत्ति
सोमवार को पांचवें दिन 28 लोगों ने सुझाव और आपत्ति दर्ज कराई। इसमें से 20 लोगों ने विरोध में जबकि 8 लोगों ने दो निगम बनाने के पक्ष में सुझाव दिए। वहीं भोपाल सिटीजंस फोरम ने सवाल उठाया है कि भोपाल से ज्यादा जनसंख्या इंदौर में है, वहां की दो नगर निगम क्यों नहीं, यहां क्यों?