मध्य प्रदेश के 8 एसीएस और कई आईएएस अफसरों के बीच खुली जंग, भ्रष्टाचार और रंगीन मिजाजी के पर्चे बटे l मध्यप्रदेश में सुपर लेबल पर आय ए एस अफसरों के बीच जंग l

मध्य प्रदेश के 8 एसीएस और कई आईएएस अफसरों के बीच खुली जंग, भ्रष्टाचार और रंगीन मिजाजी के पर्चे बटे l
मध्यप्रदेश में सुपर लेबल पर आय ए एस अफसरों के बीच जंग l


प्रधानमंत्री को भेजा 8 एसीएस सहित कई अफसरों का काला चिट्ठा l


 मंत्रालय में बंटे परचे में दावा-दिल्ली, भोपाल, महाराष्ट्र, ओडिशा और आंध्रप्रदेश में किया निवेश l


कमलनाथ के निजाम में कहीं
मुख्यसचिव बनने का झगड़ा तो नहीं ?
   
मध्यप्रदेश में 'हनी ट्रैप' मामले में जहां नित नए-नए खुलासे हो रहे हैं, वहीं शुक्रवार को मंत्रालय में एक दर्जन से अधिक आईएएस, आईपीएस अफसरों द्वारा किए गए निवेश को लेकर एक पर्चा बांटा गया है। इस पर्चे में अफसरों की रंगीन मिजाजी का भी उल्लेख किया गया है ।
  सोशल मीडिया पर चल रहे इस पर्चे में इन अफसरों द्वारा संपत्ति क्रय करने, विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में किए गए निवेश, बिल्डरों तथा कंपनियों में किए निवेश सहित विदेश में पढ़ रहे उनके बेटा-बेटियों की जानकारी का उल्लेख करते हुए भ्रष्टाचार के जरिए कमाई का चिट्ठा प्रधानमंत्री को भेजा गया है, जिसमें इनकी जांच कराने की मांग की है।
  सोशल मीडिया पर चल रहे इस पर्चे में एक सीनियर आईएएस के बारे में बताया गया है कि इनके द्वारा दिल्ली के एक्सपोर्टर रमेश भसीन के जरिए कमाई का निवेश किया जाता है। इन्होंने सतना सीमेंट, भोपाल, इंदौर, दिल्ली और ओडिसा में अनेक संपत्तियां क्रय की हैं। एक अन्य आईएएस जिनका कुछ दिनों पहले एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद उनका तबादला कर दिया गया, इनके द्वारा भोपाल, महाराष्ट्र, जयपुर, इंदौर और दिल्ली में जमीन खरीदी गई है, जबकि 85 बैच के एक आईएएस जो कि वर्तमान में दिल्ली में पदस्थ हैं, इनके द्वारा एक ठेकेदार के जरिए अपनी काली कमाई ठिकाने लगाई गई है। उक्त अफसर ने दिल्ली, भोपाल और इंदौर में फ्लेट्स खरीदने में काफी निवेश किया है।
   एक शौकिन मिजाजी अफसर के बारे में लिखा गया है कि इन्होंने भोपाल के अलावा यूपी में प्रॉपर्टी क्रय की है, जबकि ग्वालियर की एक होटल में इनकी पार्टनरशिप है। इसी बैच के एक अन्य अधिकारी के बारे में कहा गया है कि इनकी सारी कमाई अमरीश सिंह पेरिस गिफ्ट सेंटर, काबुल ड्रायफूट के 10 से 15 आउटलेक में लगी हुई है। साथ ही मुंबई, इंदौर, पंजाब और चंडीगढ़ सहित दुबई में इनका काफी पैसा लगा है। दिल्ली से वापस लौटे एक अफसर के बारे में पर्चे में लिखा है कि इनके द्वारा आंध्रपद्रेश, दिल्ली और भोपाल में संपत्ति खरीदी गई है, जबकि एसीएस स्तर के ही एक अन्य अधिकारी के बारे में लिखा है कि इनका निवेश होटल रेसीडेंसी के मालिक के जरिए किया जाता है। वहीं 86 बैच के आईएएस के बारे में बताया गश है कि इनका निवेश दिल्ली, पंजाब, भोपाल में भूमि क्रय करने में किया है। एक सीनियर महिला आईएएस के बारे में भी इस पर्चे में जानकारी का खुलासा किया है, जिसके एक सरदार के जरिए भोपाल, इंदौर दिल्ली, मुंबई और दुबई में निवेश करने का उल्लेख है।
  इनमें किया अफसरों ने निवेश
भोपाल के तीन मेडिकल कॉलेजों सहित उज्जैन, इंदौर के मेडिकल कॉलेज, होटल प्रभा क्लार्क इन, गहना ज्वैलर्स, अग्रवाल ज्वैलर्स, बॉबी छावड़ा, दिनेश अग्रवाल, रमेश विश्वकर्मा बिल्डर्स जबलपुर, लालवानी बिल्डर्स, पेरिस गिफ्ट सेंटर आदि के नाम शामिल हैं। सोशल मीडिया पर चल रहे इस पर्चे में पीएम मोदी से शिकायत करते हुए इन भ्रष्ट अफसरों द्वारा की गई कमाई की जांच कराने का आग्रह किया गया है।
इसे मध्यप्रदेश में कमलनाथ के निजाम में उच्च स्तर के पदस्थ अफसरों के बीच जंग के तौर पर देखा जा रहा है है । जिस तरह से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित पत्र में मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों के कपड़े उतारने की कोशिश की गई है , उसके पीछे सिर्फ एक ही मकसद नजर आ रहा है कि येन केन प्रकारेण मध्यप्रदेश के मख्यसचिव के पद को कब्जाया जाए । अगर पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रम को देखा जाए तो इसकी पुष्टि भी होती नजर आ रही है । सबसे पहले कमलनाथ सरकार द्वारा ई-टेंडरिंग घोटाले को अंजाम देने की कोशिश की गई। हांलांकि कमलनाथ का विशुद्ध उद्देश्य इसका राजनीतिक इस्तेमाल करना था लेकिन आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में प्रकरण के दर्ज होते ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खासुलखास अफसरों के भी इसके लपेटे में आने की संभावना बलवती हो गई ।
कुछ ही दिनों बाद मध्यप्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीसी मीणा की वीडियो क्लीपिंग सामने आ गई । मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मीणा के आचरण को अमर्यादित मानते हुए उन्हें मंत्रालय से हटाकर अन्यत्र पदस्थ कर दिया । हांलांकि कमलनाथ ने इस मामले की गंभीरता से जांच करने के निर्देश दिए जिसके बाद मध्यप्रदेश में हनी ट्रैप मामला उजागर हो गया । इस मामले में भी समकक्ष अफसर की भूमिका संदिग्ध पाई गई है । जिस तरह से 1982 से लेकर 1986 तक के जिन अधिकारियों पर निशाना साधने का प्रयास किया गया है उनमें मुख्य सचिव 1982 बैच के सुधीरंजन मोहंती , पी सी मीणा (1984) , आर एस जुलानिया (1985),प्रभांशु कमल (1985), इकबाल सिंह बैंस (1985) , गोपाल रेड्डी (1985) , के के सिंह (1985), अनिल कुमार (1986) , सलीना सिंह (1986) के नामों का चित्रण किया गया है ।


वर्तमान में मध्यप्रदेश में मुख्यसचिव स्तर के पद पर 1989 बैच के आईएएस अधिकारी मोहम्मद सुलेमान पदस्थ हैं।सुधिरंजन मोहंती और सुलेमान के बीच लगभग तैंतीस आय ए एस अफसर हैं  । जिनमें से बारह मध्यप्रदेश में मुख्यसचिव के समकक्ष पदस्थ हैं और लगभग पच्चीस अधिकारी भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं । प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र में विशिष्ट बात यह है कि निशाना बनने वालों में सिर्फ 1986 बैच के अनिल कुमार को निशाने पर लिया गया है ।जो मध्यप्रदेश से बाहर पदस्थ हैं ,बाकी सारे अधिकारी मध्यप्रदेश में पदस्थ हैं । इन आरोपों की सूची में मुख्यसचिव बनने की कतार में नम्बर दो ए पी श्रीवास्तव का नाम नहीं है , और 1987,1988,1989 के आय ए एस अफसरों को छोड़ दिया गया है। बड़ी ही चतुराई के साथ बनाई इस लिस्ट को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि यह गुमनाम पर्चा तैयार किसने किया है । पर एक बात तय हो गई है कि मध्यप्रदेश के अगले मुख्यसचिव पद के लिए उम्मीदवारी शुरू हो गई है ।