*मध्यप्रदेश में अब जनता नहीं पार्षद ही चुनेंगे महापौर, राज्यपाल ने दी अध्यादेश को मंजूरी*
*मध्यप्रदेश में अब जनता सीधे महापौर को नहीं चुन पाएगी। राज्यपाल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इधर, विपक्ष पहले ही इसका विरोध कर रही है।*
भोपाल। मध्यप्रदेश में अब जनता सीधे महापौर को नहीं चुन पाएगी। राज्यपाल ने मंगलवार सुबह महापौर निर्वाचन अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान एवं उमा भारती भी इस अध्यादेश का विरोध कर चुके हैं, लेकिन उनका विरोध भी काम नहीं आया और राज्यपाल ने मुख्यमंत्री कमलनाथ का साथ देते हुए अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए।
उधर, भोपाल नगर निगम का भी बंटवारा करने का मसौदा कलेक्टर ने जारी कर दिया। भोपाल नगर निगम को दो भागों में बांटने की तैयारी की जा रही है।
मध्यप्रदेश में पिछले कुछ दिनों से चल रहा नगर निकाय चुनाव पर विपक्ष का विरोध काम नहीं आया। मंगलवार को सुबह राज्यपाल लालजी टंडन ने राज्य सरकार के अध्यादेश को मंजूरी दे दी। अब मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से न होकर अप्रत्यक्ष रूप से होगा। यानी पहले जनता पार्षद के साथ ही महापौर का भी चयन करती थी। नए अध्यादेश के तहत अब जनता पार्षद को चुनेगी और पार्षद ही अपनी पसंद का महापौर चुनेंगे।
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इधर, भोपाल कलेक्टर ने नगर निगम को दो भागों में बांटने का प्रस्ताव भी जारी कर दिया गया है। इसके बाद भोपाल में अब दो नगर निगम बन जाएंगे। इसमें भोपाल ईस्ट और भोपाल वेस्ट नाम से दो नगर निगम बनाए जाने की तैयारी की जा रही है।
महापौर ने किया विरोध
भोपाल के महापौर आलोक शर्मा ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि यह सरकार जनता को बांट रही है। यह लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने कहा कि हम इसका विरोध करेंगे