परफामेंस नहीं सुधरा तो तीन माह बाद इंदौर से बाहर भेजे जाएंगे इंजीनियर l

     परफामेंस नहीं सुधरा तो तीन माह बाद इंदौर से बाहर भेजे जाएंगे इंजीनियर l


    लापरवाही पर जताई नाराजी, काम बेहतर करने वालों को शाबासी दी l एमडी श्री नरवाल ने l


इंदौर। शहर में रहकर काम करने वाले इंजीनियर कंपनी की कसौटी पर खरा उतरने, परफामेंस सुधारें वरना तीन माह बाद वे इंदौर में पदस्थ नहीं रह पाएंगे, दूर के जिले या बिजली डिविजनों में भेज दिया जाएगा। इंदौर महानगर में पदस्थी के दौरान काम भी उपभोक्ता सेवाएं सुधारकर, कंपनी के राजस्व टार्गेट पूरा कर व अन्य योजनाओं, मापदंडों पर खरा उतरकर करना होंगे। वरना वे इंदौर में लंबे समय तक नहीं रह पाएंगे।


     उक्त बात मप्रपक्षेविविकं के एमडी श्री विकास नरवाल ने कही। वे पोलोग्राउंड मुख्यालय में कंपनी क्षेत्र के 15 जिलों के 110 इंजीनियरों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इंदौर शहर में एएमआर ठीक से नहीं होने, आईपीडीएस का काम लंबित होने , एचटी कनेक्शन में विलंब करने, हजारों की संख्या में चैक बाउंस होने, उपभोक्ता सेवाओं को गंभीरता से नहीं लेने पर चिंता जताई व संबंधित अधिकारियों को चेताया। इंदौर शहर को मप्र में सबसे ज्यादा सीआरपीयू यानि प्रति यूनिट राजस्व संग्रहण पर बधाई भी मिली। देवास जिले के अधीक्षण यंत्री डॉ. ध्रुव शर्मा को केपीआई में सतत दो माह अव्वल रहने पर शाबासी मिली। उज्जैन शहर में बिजली चोरी नहीं रोकने पर नाराजी जताई गई। इसी के साथ कृषि फीडरों पर 11 घंटे या ज्यादा सप्लाई पर के मामले में भी अधीक्षण यंत्रियों को चेताया गया। श्री नरवाल ने कहा कि माह के अंतिम दो सप्ताह में ज्यादा काम होता हैं, ऐसे में अवकाश ज्यादा न लिया जाए, टीम भावना के साथ काम किया जाए, तभी परफामेंस में गुणोत्तर सुधार आ सकेगा। शहर में आटोमेटेड मीटर रीडिंग वाले 10 केवी से उपर के उपभोक्ताओं की रीडिंग लेने में लापरवाही पर प्रभारी इंजीनियर श्री लक्ष्मण सिंह को नोटिस देने के निर्देश भी दिए गए। सीजीएम श्री संतोष टैगोर ने रोज 525 उपभोक्ताओं से फीडबैक लेने के दौरान आ रही समस्याओं के समय पर निराकरण कर ऊर्जस एप पर इंट्री करने के निर्देश दिए ।  बैठक में डाय़रेक्टर श्री मनोज झंवर, ईडी श्री संजय मोहासे, सर्वश्री गजरा मेहता, कैलाश शिवा, पुनीत दुबे, आरएस खत्री, एसएल करवाड़िया, सुब्रतो राय, अशोक शर्मा, कामेश श्रीवास्तव ने भी विचार रखे। बैठक में 15 जिलों की करीब 110 अधिकारी मौजूद थे।