आबकारी आयुक्त द्वारा आबकारी अधिनियम की धारा 31 में सोम डिस्टलरी को नोटिस जारी कर वर्ष 2018 -19 एवं 2019- 20 के लिए जारी लाइसेंसों को निरस्त करने की बात का उल्लेख करते हुए सुनवाई हेतु सोम डिस्टलरी को सात दिवस का अवसर प्रदान किया गया है हालांकि जारी नोटिस को लेकर सोम न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा सकता है |
गौरतलब है कि मुरैना में अवैध शराब परिवहन को लेकर माननीय न्यायालय द्वारा जारी आदेश के पश्चात हमारे द्वारा मामले को प्रमुखता से उठाया गया था उक्त मामले में विभागीय कार्यशैली पर भी कई तरह के प्रश्नचिन्ह खड़े हुए थे जिसके पश्चात आबकारी आयुक्त द्वारा सोम डिस्टलरी को आबकारी अधिनियम की धारा 31 के तहत नोटिस जारी किया गया है जिसमें वर्ष 2018 -19 एवं वर्ष 2019- 20 के लिए जारी लाइसेंस डी-1 एवं cs1 को निरस्त करने की बात कही गई है उक्त मामले में सोम डिस्टलरी को अपना पक्ष रखने के लिए 7 दिन का अवसर भी प्रदान किया गया है सोम डिस्टलरी द्वारा प्रस्तुत जवाब से यदि आबकारी आयुक्त संतुष्ट नहीं होते हैं तो नियम अनुसार सोम डिस्टलरी के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी हालांकि सूत्रों की मानें तो सोम डिस्टलरी अपने बचाव के कदम उठाएगी और जवाबी कार्रवाई के रूप में ग्वालियर और जबलपुर उच्च न्यायालय में स्थगन आदेश के लिए प्रयास करेगी। यह भी तय बात है। उसके पक्ष में कोई भी एकतरफा फैसला, उसी स्थिति में नहीं होगा, जब सरकार भी यहां केविएट दायर करें। उस स्थिति में सरकार का पक्ष जाने बगैर अदालत भी कोई एकतरफा निर्णय नहीं सुनाएगी।
*निर्णय को चुनौती दे सकता है सोम*
सूत्रों की मानें तो सोम डिस्टलरी एक बार फिर निचली अदालत के फैसले को चुनौती देगी। हालांकि सजा पूरी हो चुकी है और इस लिहाज से वो आबकारी अधिनियम के तहत सजायाफ्ता की ही श्रेणी में आता है। जिसके चलते न्यायोचित यही होगा कि नियमानुसार सोम के विरुद्ध उचित वैधानिक कार्रवाई को आबकारी आयुक्त द्वारा अंजाम दिया जाए
*कई गंभीर प्रकरण आज भी विचाराधीन है*
सोम समूह कई मामलों में विवादास्पद है आबकारी विभाग की 2007 से लेकर 2019-20 तक की काली सूची मैं भी सोम डिस्टलरी का नाम सम्मिलित है। सोम समूह शराब निर्माण के अलावा शराब के विक्रय के लिए भी विभिन्न फर्मों के नामों से प्रदेश के अधिकांश जिलों में ठेके लेता रहा है। कालीसूची में दर्ज होने के बाद भी कभी उसे आबकारी विभाग शराब बैचने के धंधे से बाहर नहीं कर सका।
*यह था मामला*
उल्लेखनीय है कि 23 साल पुराने शराब तस्करी के एक मामले में आबकारी विभाग मुरैना द्वारा प्रकरण बना माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की अदालत मैं विचाराधीन था जिस पर 27 सितम्बर को सोम डिस्टलरी और उसके चेयरमैन जगदीश अरोरा को चार अलग-अलग मामलों में न्यायालय उठने तक के कारावास और जुर्माने की सजा दी थी। अभियोजन के अनुसार, 1996 में मुरैना सेल्स टैक्स बेरियर पर आबकारी विभाग के अफसरों ने तीन ट्रकों में भरी सोम डिस्टलरी की सन्नी माल्ट व्हिसकी की 616 पेटियां बरामद की। यह शराब जारी परमिट की समयसीमा खत्म होने के बाद भी रायसेन से दिल्ली परिवहन की जा रही थी। शराब के परिवहन के लिए जारी परमिट सिर्फ एक साल के लिए ही जारी हुआ था। 23 साल पुराने इस मामले के तीन आरोपी तो फरार हैं लेकिन आबकारी अधिनियम की विभिन्न धाराओं में डिस्टलरी के मालिक जगदीश अरोरा और ड्रायवर पूरन सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। लंबी सुनवाई के बाद इस मामले में अदालत ने जगदीश अरोरा को न्यायालय उठने तक के कारावास से दंडित किया है। इसके अलावा शराब के अवैध परिवहन के दो मामलों में दो-दो हजार रूपए का जुमार्ना और दो मामलों में पांच-पांच सौ रूपए के जुमार्ने किए गए हैं। अदालत ने शेष आरोपियों के फरार रहने के कारण बरामद शराब और ट्रक के मामले का फिलहाल कोई निराकरण नहीं किया है।