राष्ट्रपति के हाथो सम्मानित होंगे दृष्टिबाधित शिक्षक आधारसिंह 

राष्ट्रपति के हाथो सम्मानित होंगे दृष्टिबाधित शिक्षक आधारसिंह
तीन दशक से मन की आँखों से स्कूली बच्चों की जिंदगी को कर रहे हैं रोशन
इन्दौर।  उम्र के 60वें पड़ाव में चल रहे दृष्टिबाधित शिक्षक आधारसिंह चौहान आगामी 3 दिसम्बर : विश्व विकलांग दिवस पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के हाथों सम्मानित होने जा रहे हैं। वे मध्यप्रदेश के एकमात्र दृष्टिबाधित शिक्षक हैं, जिन्हें इस बार राष्ट्रपति सम्मान के लिए चयनित किया गया है। उन्हें यह सम्मान श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में दिया जा रहा है। तीन दशकों से दृष्टिवान विद्यार्थियों (आँख वाले) को पढ़ा रहे आधारसिंह एक श्रेष्ठ शिक्षक ही नहीं, अच्छे  एथलीट भी रहे हैं और तैराकी, गोलाफेंक, लम्बी कूद जैसी स्पधार्ओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर उन्होंने अपनी झोली में कई पदक बटोरने के साथ साथ तत्कालिन पटवा सरकार (1987) के हाथों प्रदेश शासन का महत्वपूर्ण विक्रम अवार्ड से भी सम्मानित हो चुके है। शतरंज खेल में माहिर आधारसिंह को टेलीफोन आॅपरेटिंग, लाईट इंजीनियरिंग, प्लास्टिक केन की कुर्सी, हैंगर बनाने में भी महारथ हासिल है। इतिहास विषय में एम. फिल. और विभिन्न सामाजिक और शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित आधारसिंह का जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहा, लेकिन उन्होंने अपनी शिक्षा, कौशल, परिश्रम और जजबे से हरा कर उस पर विजयश्री हांसिल की।
 उन्होंने प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. बालकृष्ण पंजाबी के निर्देशन में सरसेठ हुकुमचंद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर एम.फिल. की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के साथ-साथ आधारसिंह खेलों में भी अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन दिखाते रहे। वे 1981 से 1987 तक लगातार 8 वर्षों तक दृष्टिहीन एथॉलिटिक मीट में प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहकर राष्ट्रीय स्तर की स्पधार्ओं में स्वर्ण, रजक और कांस्य रजत जीतकर अपने प्रदेश का मान बढ़ाते रहे। आधारसिंह की इन्हीं खेल उपलब्धियों को देखते हुए वर्ष 1987 में मध्यप्रदेश की पटवा सरकार ने उन्हें प्रदेश के महत्वपूर्ण विक्रम पुरस्कार से नवाजा और वर्ष 1989 में विकलांग कोटे से शिक्षक के पद पर नियुक्ति हो गई। शुरू-शुरू में आपने आसपास के गाँव के शासकीय विद्यालय में पढ़ाया और उसके बाद विजय नगर स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय में सेवारत् है और अभी भी इसी विद्यालय में पढ़ा रहे हैं। दृष्टिबाधित होने के कारण आधारसिंह बच्चों को बोर्ड पर तो लिखकर या किताबों से पढकर तो नहीं पढ़ा पाते, लेकिन मन की आँखों से और बोलकर पढ़ाते हैं। परिणामस्वरूप विद्यालय में अध्ययनरत् बच्चों का वार्षिक परीक्षा परिणाम हर साल 95 फीसदी से अधिक रहता है। वर्ष 2011 में शिक्षक दिवस पर नगर पालिका निगम ने श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में आधारसिंह चौहान को सम्मानित किया।