*आरईएस विभाग की लापरवाही के कारण ग्रामवासी पानी को तरसे*

*आरईएस विभाग की लापरवाही के कारण ग्रामवासी पानी को तरसे*


*रोजाना 3 से 4 किमी तक मवेशियों को पानी पिलाने के लिए जाने को मजबूर*


धार। जिला मुख्यालय से 80 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम ढाकनबारी ग्राम पंचायत गुमानपुरा तहसील सरदारपुर जो कि पूर्णरूपेण आदिवासी बाहुल्य इलाका है। यह गांव मजरे टोले के रुप में बसा हुआ है। ग्राम की जनसंख्या 800-900 के लगभग हैं। देश की आजादी के बाद से केंद्र सरकार या राज्य सरकार की योजनाओं से वंचित रहा है। केंद्र सरकार व राज्य सरकार की योजनाएं बनाई गई और अंदरूनी ग्रामीण इलाका होने के कारण कोई पहुँच ही नहीं पाता है। राज्य सरकार के नुमाइंदे शासन की योजनाओं को कागजो पर दिखाकर शासकीय राशि का गबन कर रहे है। आजादी के बाद पहली बार कृषि विभाग की योजना का लाभ मिलने से ग्रामवासियों में खुशी का माहौल है।
       आरईएस विभाग के द्वारा 28 लाख रुपये की राशि से तालाब स्वीकृति किया गया था और कार्य भी प्रारंभ किया गया किन्तु भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ गया और मौके पर देखने पर पता चला कि नाले के पानी को रोककर तालाब बनाने की कोशिश की गई जिसमें सिर्फ एक तरफ ही पत्थरों की पाल बनाकर पानी को रोकने का प्रयास किया गया। उक्त पत्थरों की पाल की टीचिंग भी ठीक तरह से नहीं की गई जिस कारण उक्त गड्ढे में पानी रुक ही नहीं पा रहा है। बारिश के मौसम में पानी आया और पत्थरों के बीच से लीकेच हो गया और उक्त नाला जिसे आरईएस विभाग तालाब का नाम दे रहा है। सूखा पड़ा हुआ है। उक्त तालाब के लिए शासन द्वारा 28 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई और मौके पर देखो तो 8 से 10 लाख रुपये का काम ही करवाया गया है।जो जाँच का विषय है??


*ग्रामवासी पानी को तरसे मवेशियों को पानी पिलाने के लिए 3 से 4 किमी तक रोजाना जाते हैं*


आरईएस विभाग के द्वारा स्वीकृत तालाब जो विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों के कारण आज सूखा पड़ा हुआ है। ग्राम ढाकनबारी के निवासी पानी को तरस रहे है और मवेशियों को पानी पिलाने के लिए प्रतिदिन 3 से 4 किमी दूर तक रोजाना जाते है।
         ग्रामवासियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 में शासन ने 77 लाख रुपये की राशि तालाब के लिए स्वीकृति प्रदान की है। राशि स्वीकृत होने के बाद भी पांच वर्ष बीत गए और तालाब का कार्य प्रारम्भ नहीं किया गया है।