5 अप्रेल को 9 बजे 9 मिनट के लिए सब बिजली बंद करेंगे - प्रधानमंत्री का आव्हान
ग्रिड का क्या होगा ??
वैसे ही डिमांड कम है। पिछले 20 दिनों में ग्रिड पर लोड लगभग 30% कम हो गया है, ट्रैन / फैक्ट्री / बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हैं। बिजली का स्टोरेज संभव नही है, जिस क्षण लोड कम होता है या बढ़ता है उसी क्षण किसी न किसी पॉवर प्लांट में उतना लोड कम किया जाता है या बढ़ाया जाता है। देश मे जो बिजली सप्लाई हो रही है उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा थर्मल प्लांट से आता है । थर्मल प्लांट की लोड कम करने की क्षमता सीमित होती है। वो अगर अपनी क्षमता के 60% से कम लोड पर चलाये जाएं तो उनके स्थायित्व पर संकट आ सकता है। यह बिंदु टेक्निकल मिनिमम कहलाता है। लॉक डाउन के चलते बड़ी संख्या में थर्मल प्लांट टेक्निकल मिनिमम या उसके आसपास ही चल रहे हैं। अब अगर ये बिजली बंद करने का आव्हान 70% भी अमल में आया तो ग्रिड पर अचानक बड़ा जर्क आएगा। अनावश्यक तौर पर सारी व्यवस्था हलाकान होगी। यदि ग्रिड डिस्टर्ब हुआ तो 12 - 18 घंटे लगेंगे व्यवस्था ठीक होने में। इस बीच अस्पताल और अन्य आपातकालीन सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं।
जिम्मेदार लोगों से उम्मीद की जाती है कि बिजली व्यवस्था बनाये रखने में यदि सहयोग न कर सकें तो कठिनाई पैदा न करें।
दिया मोमबत्ती जलाने से विरोध नही है, अवश्य जलाएं, ताली बजाएं, थाली बजाएं, पर बिजली बंद करना तकनीकी तौर पर गलत है और वर्तमान स्थिति में आत्मघाती है। अतः प्रतीक को प्रतीक ही रहने दिया जाए, विद्युत व्यस्था को सुचारू बनाये रखने में दिन रात लगे अभियंताओं और कार्मिकों पर इतना अहसान करें कि विद्युत व्यवस्था को अनावश्यक जर्क न दें। कोरोना का झटका ही बहुत है और झटके न दें। कृपया विद्युत व्यस्था को सुचारू बनाये रखने में सहयोग करें। बिजली बंद करे पर उस लोड के बराबर घर पर कोई विद्युत उपकरण चालू कर के रखे।