*इंदौर देश में दूसरा और मध्यप्रदेश में पहला सर्वाधिक कोरोना संक्रमित शहर हो गया है*

*इंदौर देश में दूसरा और मध्यप्रदेश में पहला सर्वाधिक कोरोना संक्रमित शहर हो गया है*


कोरोना से निपटने में लगे तीन जांबाज
कोरोना वायरस से सबसे अधिक संक्रमित और मौतें यदि मध्यप्रदेश में कहीं हुई हैं, वो मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर है…इस तरह से इंदौर देश में दूसरा और मध्यप्रदेश में पहला सर्वाधिक कोरोना संक्रमित शहर हो गया है…लेकिन कहा जा रहा है कि यदि कमिश्नर आकाश त्रिपाठी, कलेक्टर मनीष सिंह और डीआईजी हरि नारायणचारी ने इंदौर की व्यवस्थाएं नहीं संभाली होती तो स्थितियां और भयावह हो गई होतीं…बताते हैं कि जिस समय कलेक्टर मनीष सिंह और डीआईजी हरिनारायणचार्य ने इंदौर में काम संभाला, तब तक कोरोना का वायरस इंदौर में बुरी तरह से फैल चुका था…लेकिन इसके बावजूद इन जांबाज अफसरों ने ठाना कि चाहे कुछ भी हो जाए कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकना है…और जान की परवाह किए बिना तीनों अफसर कोरोना से निपटने में रात-दिन जुट गए…इसके पहले इन अफसरों की मेहनत का ही कमाल है कि इंदौर आज स्वच्छता के मामले में नंबर वन है। बताते हैं कि तीन अफसरों कोरोना से निपटने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं तो जुटा ही रहे हैं, डाक्टरों से मिलकर समस्याएं भी निपटा रहे हैं…कोरोना ग्रुप की टीम का हौसला बढ़ा रहे हैं…सीएम भी इन अफसरों के जुनून की तारीफ कर चुके हैं…लोग कह रहे हैं जहां ऐसे अफसर हों और ऐसा जुनून हो, तो क्या वहां कोई संकट ठहर सकता है…।
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इसलिए फैल गया कोरोना
मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में कोरोना वायरस का संक्रमण इतनी तेजी से क्यों फैला, इसके लिए भाजपा नेता एवं इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने जो तर्क दिया उसमें दम लगता है। उनका कहना है कि जब कोरोना ने दस्तक देनी शुरू की थी, उस समय मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके मंत्रियों को सिर्फ अपनी सरकार बचाने की चिंता थी…शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाने के दावे किए जा रहे थे और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके साथ कई मंत्री बेंगलुरु में बागी कांगे्रस विधायकों को मनाने के लिए धरने पर बैठे हुए थे, तो मुख्यमंत्री कमलनाथ इस जुगाड़ में थे कि कैसे भी बागी विधायक मान जाएं या फिर भाजपा के पांच-दस विधायक उनके साथ खड़े हो जाएं, ताकि उनकी सरकार बच जाए।…यह सच और तथ्य भी है कि जब शुरुआत में कोरोना वायरस ने मध्यप्रदेश में दस्तक दी थी, तभी यदि रोकथाम के पूरी ताकत से कदम उठाए जाते और प्रयास किए जाते तो यह स्थिति नहीं बनती…और कोरोना वायरस का संक्रमण इतना डरावना नहीं होता…लेकिन अब क्या हो सकता है…।
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एडीजी सीआईडी का फरमान
मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण इतना भयावह हो जाएगा यह न राज्य सरकार ने सोचा था और न प्रशासन के जिम्मेदारों ने…लेकिन अब जिस तरह से कोरोना का वायरस आम तो आम और खास यानी प्रशासन के जिम्मेदार बड़ों अफसरों को भी अपनी जकड़ में ले रहा है, उसने स्थितियों को और डरावना बना दिया है….इन स्थितियों को देखते हुए सीआईडी के एडीजी कैलाश मकवाना ने एक फरमान दिया है कि यदि जिसने भी कोराना वायरस की रोकथाम के लिए बनाई गई राज्य सरकार की गाइड लाइन के पालन में कोताही की, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी…मकवाना ने भोपाल-इंदौर के एसएसपी सहित प्रदेश के सभी जिलों के एसपी को भेजे फरमान में तमाम धारा और कानूनों भी जिक्र करते हुए कहा है कि कोरोना गाइडलाइन की अनदेखी पर किसके खिलाफ किस धारा में कार्रवाई करना है…इसके साथ प्रदेश के प्रत्येक नागरिक से गाइड लाइन का पालन कराना सभी एसपी की जिम्मेदारी है, यह सीआईडी एडीजी ने फरमान में लिखा है…अब जब लोग कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन को तोड़ेंंगे….खुद को संकट में डालने के साथ दूसरों के लिए भी मुसीबत पैदा करेंगे, तो इस तरह की सख्ती आवश्यक हो जाती है…।
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कोरोना के बाद नई आफत की दस्तक…
कोरोना वायरस की महामारी ने मध्यप्रदेश में डरावने हालात बना ही दिए हैं…अब गर्मी के शुरू होते ही प्रदेश में नई आफत ने दस्तक देना शुरू कर दिया है…पेयजल की किल्लत की आफत…खबर है कि मध्यप्रदेश के 77 निकायों पानी के लिए अभी से कोहराम मचने लगा है…इन निकायों में एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई की जाने लगी है…जबकि प्रदेश के सरदारपुर (धार), सुवासरा (मंदसौर), टोंकखुर्द (देवास) और मेघनगर (झाबुआ) में ऐसे निकाय हैं, जहां लोगों को दो दिन छोड़कर बमुश्किल पानी मिल पा रहा है…हालांकि आगे प्रदेश में पानी को लेकर हालात और न बिगड़ें इसके लिए मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित विभागों को जागने और आवश्यक तैयारियां करने का फरमान सुना दिया है…लेकिन सवाल है कि सरकार और संबंधित महकमों के अफसर तभी क्यों जागते हैं, जब संकट सिर पर आकर नाचने लगता है…और हाहाकार मचने लगता है…फिर पूर्वीवर्ती कमलनाथ सरकार मध्यप्रदेश में पानी का अधिकार कानून लेकर आई थी, उसका क्या हुआ…इस पर जो पैसा खर्च हुआ उसका क्या हुआ…खैर अब भाजपा सरकार है, अब नए सिरे पानी संकट से निपटने के लिए मशक्कत होगी…?
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जिन्हें दवा देनी थी, उन्होंने दे दिया जहर
मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस से संक्रमित जितने भी मरीज हुए हैं, कहते हैं उनमें से आधे से ज्यादा तो स्वास्थ्य महकमे के अफसर और कर्मचारी हैं…स्वास्थ्य महकमे की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल, संचालक जे विजय कुमार और डॉ वीणा सिन्हा सहित कोई तीन सौ ज्यादा अफसर-कर्मचारियों में कोरोना संक्रमण के लक्षण पाए गए हैं…बताते हैं कि पल्लवी जैन सहित तमाम अफसरों ने तो संक्रमित होने के बावजूद खुद को क्वारंटाइन नहीं किया, बल्कि कोरोना की रोकथाम के लिए बनाई गई गाइड लाइन की अनदेखी कर मीटिंग और मानीटरिंग करते रहे…खबर है कि एनएचएम की संचालक स्वाति मीना द्वारा कोरोना की रोकथाम के बुलाई मीटिंग में महकमे के दो सौ ज्यादा अफसर-कर्मचारी शामिल हुए थे…जबकि सरकार की एडवाइजरी में 20 से अधिक लोगों के एकत्र होने की मनाही है…तो फिर तो कोरोना वायरस का संक्रमण फैलना ही था…और फिर जिन पर कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने ही खुदगर्जी कहें या लापरवाही में प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण को और भयावह बना दिया…आप ही तय करें इन्हें क्या सजा मिलनी चाहिए…।